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Atharva Veda in Hindi PDF ( अथर्व वेद PDF Free Download )
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Atharva Veda Ke Bare Mein
अथर्व वेद हिन्दू धर्म के महान चार वेदों में एक है। यह हिन्दू धर्म का चौथा पवित्र वेद है। अथर्व वेद संहिता अर्थात मन्त्र भाग है। इस वेद को ब्रह्म वेद भी कहते है। इसमें देवताओं की स्तुती के साथ-साथ चिकित्सा विज्ञान और दर्शन के भी मन्त्र है।
इस वेद के बारे में कहा गया है। जिस राजा के राज्य में अथर्ववेद जानने वाला विद्वान शांति स्थापना के कर्म में निरत रहता है। वह राष्ट्र उपद्रव रहित होकर निरंतर उन्नति के मार्ग पर अग्रसर रहता है। वेद का अर्थ संस्कृत भाषा के विदज्ञाने धातु से बना है।
वेद का शाब्दिक अर्थ है। इसी धातु से विदित ( जाना हुआ ) विद्या (ज्ञान ) विद्वान ( ज्ञानी ) जैसे शब्दों की खोज हुई है। आज इन चार वेदों के रूप में ज्ञान इन महान ग्रंथों का विवरण इस प्रकार ज्ञात है।
1. ऋग्वेद- सबसे प्राचीनतम वेद जिसमे मन्त्रों की संख्या 10627 है। ऐसी मान्यता है। इस वेद में सभी मैट्रन के अक्षरों की संख्या 432000 है। इसका मूल उद्देश्य ज्ञान है। विभिन्न देवताओं के वर्णन के साथ ईश्वर की स्तुति आदि है।
2. यजुर्वेद – इसमें कार्य ( क्रिया ) व यज्ञ ( समर्पण ) की प्रक्रिया के लिए 1975 गद्यात्मक मन्त्र है।
3. सामवेद – इसका प्रमुख विषय उपासना ( पूजा ) है। संगीत में गाने के लिए 1875 संगीतमय मन्त्र है।
4. अथर्व वेद – इसमें गुण धर्म आरोग्य एवं यज्ञ के लिए 5977 कवितामयी मन्त्र है।
Atharva Veda Summary In Hindi
अथर्व वेद हिन्दू धर्म के बहुत ही पवित्र वदो में चौथे स्थान पर है। यह मंत्र भाग है और इसे ब्रह्मवेद भी कहा जाता है। अथर्ववेद में देवताओ की स्तुति के साथ ही चिकित्सा, ज्ञान, विज्ञान के बारे में भी बताया गया है।
इस वेद में जड़ी बूटियों, रहस्यमयी विद्याओ और आयुर्वेद का भी जिक्र है। अथर्ववेद में 20 अध्याय है और इसमें लगभग 5987 मंत्र है।
इसके भाषा और स्वरूप के माध्यम से यह पता चलता है कि इसकी रचना सबसे बाद में हुई। अथर्व वेद को अन्य नमो से भी जाना जाता है।
जैसे गोपथ ब्राह्मण में इसे “अथर्वांगिरस” कहागया है तो इसमें ब्रह्म विषय होने के कारण इसे “ब्रह्मवेद” भी कहा जाता है तो वही आयुर्वेद चिकित्सा तथा औषधियों का वर्णन होने के कारण इसे “भैषज्य वेद” भी कहा जाता है तो इसमें “पृथ्वी सूक्त” के वर्णन होने के कारण इसे “महीवेद” भी कहा जाता है।
अथर्व वेद में कुल 20 कांड, 730 सूक्त, और 5987 मंत्र है। इसमें पहले से लेकर सातवे कांड तक विशिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति हेतु तंत्र-मंत्र संबंधी मंत्र और प्रार्थनाए दी गई है। इसमें पाप का प्रायश्चित, राजा बनने (अर्थात अमीर बनने) के मंत्र श्राप, प्रेम मंत्र, उपचार आदि के बारे में बताया गया है।
आठवे से बारहवे कांड में भी इसी इसी तरह के पाठ है। लेकिन इसमें ब्रह्मांडीय सूक्त भी शामिल है और वे उपनिषदों से अधिक जटिल चिंतन की तरफ ले जाते है।
13 से 20 कांड तक ब्रह्मांडीय सिद्धांत, विवाह प्रार्थना, अंतिम संस्कार के मंत्र तथा अन्य अनुष्ठान के बारे में बताया गया है।
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